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Friday, September 28, 2012

Analogy.

सिगरेट ..
कभी होठो तक आती है
फिर ज़मीन पर पड़ी ..पैरो से कुचली जाती है ..

जीवन ..
आशा और सच्चाई के बीच
झूलती रह जाती है ..

सिगरेट .. जीवन ..
जलना-बुझना
पल भर उत्थान ... जीवन का अवसान ..

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