This is my first poem which I wrote in class second. Though its not very good but I love it the most:-)
ऊंचा खड़ा हिमालय,
गगन चूमता है.
नीचे चरणों तले पड़ा,
नित सिन्धु झूमता है.
झरने अनेक झरते,
जिसकी पहाडियों में,
चिड़िया चहकती रहती,
जहाँ मस्त झाड़ियो से.
भाषा अनेक, जाती अनेक,
रहे जहाँ मिल-जुल कर एक,
बसे जहाँ एकता हमारी,
वो है भारत भूमी प्यारी.

No comments:
Post a Comment